अब ये ख़ुशी किस बला का नाम है ?
खूब किताबें पढ़ी, लोगों से पुछा और तो और गूगल पर भी ढूंडा लेकिन ... ख़ुशी की परिभाषा नहीं जान पाई. फिर ख़ुद की परिभाषा बनाई और लिखा " ख़ुशी, वैसा ही एहसास जैसा महीनों बाद माँ की गोद में सर रख कर होता हैं, दोस्त को तंग करके लगता है, किसी की मदद कर के महसूस होता है, जैसा पहले प्यार की खबर मिलने पर होता है, वो लम्बा इंतजार के बाद पहली मुलाकात याद है ... यही कुछ अलग सा, अजीब सा, प्यारा सा एहसास ही तो है ख़ुशी"
... शायद यही है ख़ुशी ... लेकिन मेरी ख़ुशी आपकी ख़ुशी से अलग है ... जैसे आपकी ख़ुशी मुझसे. बस एक ही बात समान है और वो है "ख़ुशी" जो दिल के किसी कोने में अपना घरोंदा बना के बैठ गई है और होंठों तक आने में आना कानी कर रही है. पूछ रही है की इस दिल को आखिर चाहिए क्या?
काश इस दिल को मालूम होता ... तो उस दिन मैं ख़ुशी के दर से यूँ खाली झोली न चली आती ...
कब इस दिल को मालूम होगा ... की इसकी हसरत क्या है???
"khushi" is "satisfaction".
ReplyDeletemay be its more than that ... or may be it is nothing ... depends person to person ...
ReplyDeletecan we generalise ?